History of Kolkata:- कोलकाता का इतिहास और प्रमुख विशेषताएँ

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कोलकाता, जिसे पहले कलकत्ता के नाम से जाना जाता था, भारत के पश्चिम बंगाल राज्य की राजधानी है और देश के सबसे प्रमुख सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और व्यावसायिक केंद्रों में से एक है। यह शहर हुगली नदी के किनारे स्थित है और अपनी समृद्ध विरासत, कला, साहित्य और बौद्धिक परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है। कोलकाता को “सिटी ऑफ जॉय” यानी “आनंद नगर” के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यह जीवन, उत्सव, साहित्य और संस्कृति का संगम है। यह शहर ब्रिटिश शासनकाल के दौरान 1772 से 1911 तक भारत की राजधानी भी रहा, जिससे इसकी स्थापत्य कला, बुनियादी ढांचे और सांस्कृतिक परिदृश्य पर गहरा प्रभाव पड़ा। इस शहर की गलियों में इतिहास की कहानियाँ बसी हुई हैं, जहां औपनिवेशिक युग की भव्य इमारतें, संकरी गलियां, चाय की दुकानें और आधुनिकता का मेल देखने को मिलता है। कोलकाता का इतिहास बहुत पुराना है और इसकी जड़ें प्राचीन बंगाली सभ्यता से जुड़ी हुई हैं। 1690 में, ईस्ट इंडिया कंपनी के एक ब्रिटिश व्यापारी जॉब चार्नोक ने इसे एक व्यापारिक केंद्र के रूप में विकसित करना शुरू किया। धीरे-धीरे यह शहर व्यापार, प्रशासन और शिक्षा का केंद्र बन गया। अंग्रेजों ने यहां कई महत्वपूर्ण इमारतों, पुलों और संस्थानों की स्थापना की, जिनमें विक्टोरिया मेमोरियल, हावड़ा ब्रिज, इंडियन म्यूज़ियम, और फोर्ट विलियम प्रमुख हैं। कोलकाता शिक्षा का भी एक महत्वपूर्ण केंद्र है, जहां प्रेसिडेंसी यूनिवर्सिटी, कलकत्ता यूनिवर्सिटी और जादवपुर यूनिवर्सिटी जैसी प्रतिष्ठित संस्थान स्थित हैं। साहित्य और कला के क्षेत्र में भी कोलकाता का विशेष स्थान है। यह शहर कई महान साहित्यकारों, कवियों और विचारकों की जन्मभूमि रहा है, जिनमें रवींद्रनाथ ठाकुर, सत्यजीत राय, बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय और स्वामी विवेकानंद प्रमुख हैं। कोलकाता की वास्तुकला और ऐतिहासिक इमारतें इस शहर की भव्यता को दर्शाती हैं। विक्टोरियन और गोथिक शैली की इमारतें ब्रिटिश काल की भव्यता को दर्शाती हैं, वहीं शहर के विभिन्न हिस्सों में पारंपरिक बंगाली स्थापत्य शैली भी देखने को मिलती है। हावड़ा ब्रिज, जो हुगली नदी पर बना एक विशाल पुल है, कोलकाता की पहचान बन चुका है। यह पुल न केवल इंजीनियरिंग का एक अद्भुत नमूना है, बल्कि यह प्रतिदिन लाखों यात्रियों और वाहनों की आवाजाही का केंद्र भी है। इसके अलावा, प्रिंसेप घाट, जो हुगली नदी के किनारे स्थित है, शाम के समय एक मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है।

कोलकाता अपने स्वादिष्ट व्यंजनों के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां का रसगुल्ला, मिष्टी दोई, शंदेश और कटलेट पूरे देश में प्रसिद्ध हैं। बंगाली मछली करी और लुची-आलूर दम यहां के पारंपरिक व्यंजनों में शामिल हैं। पार्क स्ट्रीट, टेरिटी बाज़ार और कॉलेज स्ट्रीट जैसे स्थान अपने स्ट्रीट फूड के लिए मशहूर हैं, जहां मुगलई पराठा, काठी रोल और फुचका (पानीपुरी) का आनंद लिया जा सकता है। चाय प्रेमियों के लिए भी कोलकाता स्वर्ग से कम नहीं, जहां गली-गली में मिट्टी के कुल्हड़ों में चाय परोसी जाती है। शहर की सांस्कृतिक और साहित्यिक विरासत इसकी असली पहचान है। कोलकाता वह जगह है, जहां भारत का पहला अखबार ‘हिक्की गजट’ प्रकाशित हुआ था। यह शहर कई साहित्यिक आंदोलनों का केंद्र रहा है और यहां से ही बंगाली पुनर्जागरण की शुरुआत हुई। नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर की जन्मभूमि होने के कारण यह शहर साहित्य प्रेमियों के लिए विशेष स्थान रखता है। सत्यजीत रे, जो भारत के सबसे प्रसिद्ध फिल्म निर्माताओं में से एक हैं, का भी इस शहर से गहरा नाता रहा है। कोलकाता इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल और दुर्गा पूजा उत्सव इस शहर की सांस्कृतिक धरोहर को और समृद्ध बनाते हैं।

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दुर्गा पूजा कोलकाता का सबसे भव्य और महत्वपूर्ण त्योहार है। यह त्योहार न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि इसमें कला, संस्कृति और सामूहिकता की झलक भी मिलती है। पूरे शहर में भव्य पंडाल सजाए जाते हैं और हजारों मूर्तिकार महीनों की मेहनत से देवी दुर्गा की शानदार मूर्तियां बनाते हैं। यह पर्व न केवल बंगाल में, बल्कि पूरे भारत में अपनी भव्यता के लिए प्रसिद्ध है। इसके अलावा, काली पूजा, सरस्वती पूजा और रथ यात्रा भी यहां धूमधाम से मनाई जाती है। कोलकाता का यातायात और परिवहन भी बहुत रोचक है। यहां की ट्राम सेवा भारत में अपनी तरह की सबसे पुरानी ट्राम सेवा है, जो अब भी शहर के कुछ हिस्सों में चलती है। कोलकाता मेट्रो, जो भारत की पहली भूमिगत मेट्रो सेवा थी.

खेल के क्षेत्र में भी कोलकाता का विशेष स्थान है। यह शहर फुटबॉल प्रेमियों का गढ़ माना जाता है और मोहन बागान व ईस्ट बंगाल जैसी प्रसिद्ध फुटबॉल क्लबों का घर है। इसके अलावा, ईडन गार्डन्स, जो भारत के सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियमों में से एक है, कई ऐतिहासिक मैचों का गवाह रहा है। कोलकाता नाइट राइडर्स (केकेआर) की आईपीएल में सफलता ने भी इस शहर को क्रिकेट के नक्शे पर और मजबूती से स्थापित किया है।

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कोलकाता अपनी साहित्यिक सभाओं, बुक फेयर और थिएटर के लिए भी प्रसिद्ध है। कॉलेज स्ट्रीट को “बूक्स का स्वर्ग” कहा जाता है, जहां हर तरह की किताबें बेहद सस्ते दामों पर मिलती हैं। कोलकाता बुक फेयर, जो हर साल आयोजित होता है, दुनिया के सबसे बड़े पुस्तक मेलों में से एक है। नंदन, रवींद्र सदन और अन्य सांस्कृतिक केंद्रों में नाटकों, फिल्मों और साहित्यिक बैठकों का आयोजन होता रहता है, जो इस शहर की बौद्धिक समृद्धि को दर्शाता है।

समाज सुधार और स्वतंत्रता संग्राम में भी कोलकाता की अहम भूमिका रही है। राजा राममोहन राय, ईश्वर चंद्र विद्यासागर और नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसे महान व्यक्तित्वों ने यहीं से समाज सुधार और स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत की थी। भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान कोलकाता क्रांतिकारियों का एक प्रमुख केंद्र था। यहीं से नेताजी ने आजाद हिंद फौज का सपना देखा और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। कोलकाता आधुनिकता और परंपरा का एक अनोखा संगम है। यह शहर जहां एक ओर ऐतिहासिक धरोहरों को संजोए हुए है, वहीं दूसरी ओर आधुनिक मॉल, हाई-राइज बिल्डिंग्स और आईटी पार्क्स के रूप में तेजी से विकास कर रहा है। सॉल्ट लेक सिटी और राजारहाट जैसे इलाके सूचना प्रौद्योगिकी के नए केंद्र के रूप में उभर रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद, इस शहर की आत्मा वही पुरानी गलियों, कला दीर्घाओं, साहित्यिक सभाओं और दुर्गा पूजा के उल्लास में बसती है।

कोलकाता एक ऐसा शहर है, जो हर किसी को अपनाता है और हर किसी को अपनी कहानियों का हिस्सा बना लेता है। यहां की हर गली, हर नुक्कड़, हर चाय की दुकान में एक कहानी छुपी होती है। चाहे वह कॉलेज स्ट्रीट की किताबों की दुकानें हों, या हुगली नदी के किनारे बैठकर ढलते सूरज को देखने का आनंद, कोलकाता हमेशा एक नई अनुभूति देता है। यही कारण है कि यह शहर न केवल भारत के नक्शे पर, बल्कि लोगों के दिलों में भी अपनी खास जगह बनाए हुए है।

कोलकाता से जुड़े कुछ रोचक तथ्य:

भारत की पहली राजधानी – ब्रिटिश शासन के दौरान 1772 से 1911 तक कोलकाता भारत की राजधानी थी। बाद में राजधानी को दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया।

नाम की उत्पत्ति – कोलकाता का नाम “कलकत्ता” से लिया गया है, जो संभवतः बंगाली शब्द “कालिकाता” से आया है। यह काली देवी के एक रूप का भी संदर्भ हो सकता है।

भारत की पहली मेट्रो – कोलकाता में भारत की पहली भूमिगत मेट्रो रेल सेवा 1984 में शुरू हुई थी, जो आज भी शहर की जीवनरेखा बनी हुई है।

हावड़ा ब्रिज – यह ब्रिज, जिसे “रवींद्र सेतु” भी कहा जाता है, बिना किसी नट और बोल्ट के बनाया गया है और यह दुनिया के सबसे व्यस्त पुलों में से एक है।

दुनिया की सबसे पुरानी ट्राम सेवा – कोलकाता में 1902 में इलेक्ट्रिक ट्राम सेवा शुरू हुई थी, जो अब भी शहर के कुछ हिस्सों में चलती है और भारत की सबसे पुरानी ट्राम सेवा है।

एशिया का सबसे बड़ा रेड लाइट एरिया – सोनागाछी एशिया का सबसे बड़ा वेश्यालय क्षेत्र है, जहां हजारों लोग कार्यरत हैं और कई सामाजिक सुधार कार्यक्रम चलाए जाते हैं।

सबसे पुराना पोर्ट – कोलकाता पोर्ट (अब श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट) भारत का सबसे पुराना ऑपरेशनल पोर्ट है, जिसकी स्थापना 1870 में हुई थी।

रवींद्रनाथ टैगोर का घर – कोलकाता रवींद्रनाथ टैगोर की जन्मभूमि है, जो पहले एशियाई थे जिन्हें नोबेल पुरस्कार (1913) मिला था।

भारत का पहला अखबार – 1780 में प्रकाशित ‘हिक्की गजट’ भारत का पहला अखबार था, जिसे कोलकाता में ही छापा गया था।

दुर्गा पूजा की भव्यता – कोलकाता का दुर्गा पूजा उत्सव यूनेस्को की “अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर” सूची में शामिल है।

साहित्य और कला का केंद्र – कोलकाता में भारत का सबसे पुराना संग्रहालय (इंडियन म्यूजियम) और सबसे बड़ा पुस्तक मेला (कोलकाता बुक फेयर) आयोजित होता है।

भारत का पहला टेलीफोन एक्सचेंज – 1881 में भारत का पहला टेलीफोन एक्सचेंज कोलकाता में ही शुरू हुआ था।यह शहर इतिहास, संस्कृति, कला और साहित्य का केंद्र रहा है, जो इसे भारत के सबसे खास शहरों में से एक बनाता है।

ईडन गार्डन्स – यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा और दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम है, जहां कई ऐतिहासिक क्रिकेट मैच खेले गए हैं।

सॉल्ट लेक (बिधाननगर) – यह कोलकाता का आधुनिक आईटी और कॉर्पोरेट हब बन चुका है, जहां कई मल्टीनेशनल कंपनियां स्थित हैं।

भारत का पहला साइंस सिटी – कोलकाता में स्थित साइंस सिटी भारत का पहला और सबसे बड़ा विज्ञान केंद्र है, जहां विज्ञान से जुड़े कई इंटरैक्टिव प्रदर्शनी लगाए जाते हैं।

सिटी ऑफ जॉय‘ – कोलकाता को यह उपनाम डोमिनिक लैपिएर के उपन्यास “सिटी ऑफ जॉय” से मिला, जो इस शहर की जीवंतता और उत्साह को दर्शाता है। .

भारत का पहला प्लैनेटेरियम – कोलकाता में स्थित “बिड़ला प्लैनेटेरियम” भारत का पहला और एशिया का सबसे बड़ा प्लैनेटेरियम है।

पूछा जानेवाला प्रश्न (FAQ)

कोलकाता का दूसरा नाम क्या था?

इसका पूर्व नाम अंग्रेजी में “कैलकटा’ था लेकिन बांग्ला भाषी इसे सदा कोलकाता या कोलिकाता के नाम से ही जानते है एवं हिन्दी भाषी समुदाय में यह कलकत्ता के नाम से जाना जाता रहा है।

कोलकाता का राजा कौन था?

कोलकाता में कोई पारंपरिक राजा नहीं था क्योंकि यह अंग्रेज़ों की औपनिवेशिक बस्ती थी. कोलकाता की स्थापना अंग्रेज़ी ईस्ट इंडिया कंपनी ने की थी.

कोलकाता किस राज्य में है?

कोलकाता, भारत के पश्चिम बंगाल राज्य में है. यह पश्चिम बंगाल की राजधानी है.

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