History of Eiffel Tower l एफिल टॉवर की इतिहास ,जानकारी एवं तथ्य

पेरिस का गौरव और विश्व की ऐतिहासिक धरोहर

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एफिल टॉवर (Eiffel Tower) दुनिया के सबसे प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित स्मारकों में से एक है। यह टावर फ्रांस की राजधानी पेरिस में स्थित है और इसे आधुनिक वास्तुकला का एक बेहतरीन नमूना माना जाता है। एफिल टॉवर न केवल फ्रांस की पहचान बन चुका है, बल्कि यह दुनिया भर के पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र भी है। इसकी भव्यता, अनूठी बनावट और ऐतिहासिक महत्व इसे विशेष बनाते हैं। आज यह स्मारक प्रेम, रोमांस और कला का प्रतीक माना जाता है। इसके निर्माण की कहानी, इसकी बनावट, इसका ऐतिहासिक महत्व और वर्तमान में इसकी लोकप्रियता इसे दुनिया के सबसे खास स्मारकों में शामिल करती है। एफिल टॉवर न केवल पेरिस, बल्कि पूरे विश्व के लिए गर्व और प्रेरणा का स्रोत है। यह टावर आधुनिक इंजीनियरिंग का एक अद्भुत उदाहरण है और इसके निर्माण ने दुनिया में लोहे की वास्तुकला की संभावनाओं को एक नई दिशा दी। आज, यह केवल एक ऐतिहासिक संरचना नहीं, बल्कि प्रेम, कला, और संस्कृति का प्रतीक भी है।इसकी भव्यता, रोशनी और अद्वितीय बनावट इसे दुनिया के सबसे शानदार पर्यटन स्थलों में से एक बनाती है। एफिल टॉवर का आकर्षण कभी कम नहीं होगा, और यह सदियों तक लोगों को प्रेरित करता रहेगा।

एफिल टॉवर का इतिहास और निर्माण कार्य –

एफिल टॉवर का निर्माण 1887 से 1889 के बीच हुआ था। इसे 1889 में पेरिस में आयोजित विश्व प्रदर्शनी (Exposition Universelle) के अवसर पर बनाया गया था। इस प्रदर्शनी का आयोजन फ्रांस की क्रांति के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में किया गया था। फ्रांसीसी सरकार एक ऐसी संरचना बनाना चाहती थी, जो न केवल अपनी ऊंचाई में अद्वितीय हो, बल्कि तकनीकी दृष्टि से भी अद्भुत हो। इस टावर के निर्माण की जिम्मेदारी प्रसिद्ध इंजीनियर गुस्ताव एफिल (Gustave Eiffel) को दी गई, जिनके नाम पर इसे “एफिल टॉवर” कहा जाता है। हालांकि, इसका वास्तविक डिज़ाइन उनके दो सहयोगी इंजीनियरों मौरिस कोचलिन (Maurice Koechlin) और एमिल नोउगुइर (Émile Nouguier) ने तैयार किया था।जब एफिल टॉवर के निर्माण की योजना बनाई गई, तो इसे लेकर बहुत विवाद हुए। कई कलाकारों, लेखकों और वास्तुकारों ने इसकी आलोचना की और इसे “बेकार और भद्दा ढांचा” बताया। पेरिस के कई बुद्धिजीवियों ने इसे “लोहे का दानव” कहा और इसके निर्माण का विरोध किया। लेकिन गुस्ताव एफिल अपने विचारों पर अडिग रहे और उन्होंने इस परियोजना को सफलतापूर्वक पूरा किया। जब यह टावर बनकर तैयार हुआ, तो यह दुनिया की सबसे ऊंची संरचना बन गया और इसकी भव्यता ने आलोचकों को भी चकित कर दिया।

एफिल टॉवर की खूबसूरत संरचना और मनमोहक डिज़ाइन

एफिल टॉवर पूरी तरह लोहे से बना हुआ है और इसका वजन लगभग 10,100 टन है। इसकी ऊंचाई 330 मीटर (1,083 फीट) है, जिससे यह दुनिया की सबसे ऊंची इमारतों में से एक बन गया। इसमें कुल 18,038 लोहे के टुकड़े इस्तेमाल किए गए हैं और इन्हें जोड़ने के लिए 25 लाख रिवेट (rivets) लगाए गए हैं।

इस टावर की संरचना तीन स्तरों में बंटी हुई है–

पहला स्तर – यह जमीन से 57 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां एक बड़ा अवलोकन डेक (Observation Deck) है, जहां से लोग पेरिस शहर का नज़ारा देख सकते हैं।

दूसरा स्तर – यह 116 मीटर की ऊंचाई पर है और यहां एक प्रसिद्ध रेस्तरां “ले जूल्स वर्न” (Le Jules Verne) स्थित है, जो अपनी उत्कृष्ट फ्रांसीसी व्यंजनों के लिए प्रसिद्ध है।

तीसरा स्तर – यह सबसे ऊंचा बिंदु है, जो 276 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां से पूरे पेरिस शहर का मनोरम दृश्य देखा जा सकता है।

नोट:– एफिल टॉवर को एक विशेष तकनीक से डिज़ाइन किया गया है, जिससे यह तेज़ हवाओं और अन्य प्राकृतिक आपदाओं का सामना कर सकता है। इसके लोहे के ढांचे को इस तरह से बनाया गया है कि यह हल्का लचीला बना रहता है और तेज़ हवाओं में थोड़ा झुक सकता है।

एफिल टॉवर का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व

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एफिल टॉवर ने पेरिस को एक नई पहचान दी और यह दुनिया भर में फ्रांस की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक बन गया। शुरुआत में इसे केवल 20 सालों के लिए बनाया गया था और 1909 में इसे हटाने की योजना थी। लेकिन टावर को रेडियो ट्रांसमिशन के लिए उपयोग करने की वजह से इसे नष्ट नहीं किया गया। बाद में, प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान यह संचार और निगरानी के लिए महत्वपूर्ण साबित हुआ।आज, एफिल टॉवर दुनिया के सबसे ज्यादा देखे जाने वाले पर्यटन स्थलों में से एक है। हर साल लगभग 70 लाख से अधिक पर्यटक इसे देखने आते हैं। यह स्थान न केवल आम पर्यटकों के लिए, बल्कि फिल्म निर्माताओं, लेखकों और कलाकारों के लिए भी एक प्रेरणा स्रोत है। कई फिल्मों, किताबों और कविताओं में इसका उल्लेख मिलता है, और यह प्रेम और रोमांस का प्रतीक बन चुका है।

एफिल टॉवर का असली जादू रात के समय देखने को मिलता है। हर शाम, यह शानदार टावर 20,000 बल्बों की रोशनी से जगमगाता है। यह रोशनी हर घंटे एक विशेष स्पार्कलिंग लाइट शो के रूप में चमकती है, जो दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देता है। इस रोशनी की वजह से एफिल टॉवर को “सिटी ऑफ़ लाइट्स” (City of Lights) का गौरव प्राप्त है।

एफिल टॉवर से जुड़े कुछ रोचक तथ्य:–

  • एफिल टॉवर 1889 से 1930 तक दुनिया की सबसे ऊंची इमारत थी।
  • गर्मी के मौसम में इसका ढांचा 15 सेंटीमीटर तक फैल सकता है।
  • एफिल टॉवर को हर 7 साल में रंगा जाता है, और इसके लिए लगभग 60 टन पेंट की जरूरत पड़ती है।
  • इसमें कुल 1,665 सीढ़ियां हैं, लेकिन तीसरे स्तर तक केवल लिफ्ट से पहुंचा जा सकता है।
  • एफिल टॉवर को मूल रूप से 20 सालों के लिए बनाया गया था, लेकिन इसकी उपयोगिता के कारण इसे बचा लिया गया।इसमें इस्तेमाल किया गया लोहा फ्रांस के लॉरेन (Lorraine) क्षेत्र से लाया गया था।
  • द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, हिटलर ने एफिल टॉवर को नष्ट करने का आदेश दिया था, लेकिन इसे बचा लिया गया।
  • अब तक इसे लगभग 18 बार रंगा जा चुका है। वर्तमान में यह “एiffel टॉवर ब्राउन” (Eiffel Tower Brown) रंग में है, लेकिन पहले यह लाल, पीला और यहां तक कि हरा भी रह चुका है।
  • एफिल टॉवर पर हर साल औसतन 10 से 20 बार बिजली गिरती है, लेकिन इसकी संरचना इतनी मजबूत है कि इससे कोई नुकसान नहीं होता।

एफिल टॉवर पर घूमने का समय और तरीका

एफिल टॉवर पेरिस का एक प्रमुख आकर्षण है, जो प्रतिदिन पर्यटकों के लिए खुला रहता है। आम तौर पर, यह सुबह 9:30 बजे से रात 12:00 बजे तक खुला रहता है, और अंतिम प्रवेश रात 11:45 बजे तक होता है। टिकट की कीमतें इस बात पर निर्भर करती हैं कि आप किस स्तर तक जाना चाहते हैं और आप सीढ़ियों या लिफ्ट का उपयोग करना चाहते हैं।

Q. क्या एफिल टॉवर की पहली मंजिल का फर्श कांच का है?

Ans. एफिल टॉवर की पहली मंजिल पर एक कांच का फर्श बनाया गया है, जिससे नीचे देखने पर ऐसा लगता है जैसे आप हवा में चल रहे हैं। यह पर्यटकों के लिए एक रोमांचक अनुभव प्रदान करता है।

Q. एफिल टॉवर किस देश में है?

Ans. यह टावर फ्रांस की राजधानी पेरिस में स्थित है । इसे फ्रांस की पहचान माना जाता है।

Q. इस टॉवर का नाम एफिल क्यों है?

Ans. हालाँकि टॉवर का नाम प्रसिद्ध पेरिस के सिविल इंजीनियर गुस्ताव एफिल के नाम पर रखा गया है,

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