केदारनाथ धाम यात्रा: दर्शन का समय, मार्ग और पूरी जानकारी

Best time to visit kedarnath

केदारनाथ – आस्था और अध्यात्म की पवित्र भूमि

भारत एक ऐसा देश है जहाँ आस्था, धर्म और अध्यात्म हर कदम पर देखने को मिलता है। इसी आस्था का सबसे महान प्रतीक है केदारनाथ धाम। यह मंदिर भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है और चारधाम यात्रा का एक प्रमुख पड़ाव भी। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग ज़िले में हिमालय की ऊँचाइयों पर स्थित यह धाम हर साल लाखों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है।

भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित केदारनाथ धाम हिन्दू धर्म के चार धामों में से एक प्रमुख धाम है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और समुद्र तल से लगभग 3,583 मीटर (11,755 फीट) की ऊँचाई पर हिमालय की गोद में बसा हुआ है। यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य, बर्फ से ढकी चोटियाँ और मंदाकिनी नदी का बहाव इस स्थान को और भी दिव्य बना देता है। केदारनाथ का नाम लेते ही श्रद्धा और भक्ति की भावना अपने आप मन में उमड़ने लगती है।

यह मंदिर 1000 साल से भी ज़्यादा पुराना है। इसके अलावा, मंदिर की वास्तुकला में बड़े, भारी और समान रूप से कटे हुए भूरे रंग के स्लैब पत्थर हैं और यह राजसी केदारनाथ शिखर की पृष्ठभूमि में स्थित है, जो इस क्षेत्र की सुंदरता में चार चाँद लगा देता है।

केदारनाथ का धार्मिक महत्व

पौराणिक मान्यता के अनुसार महाभारत युद्ध के बाद पांडव अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव की शरण में आए। शिवजी उनसे मिलने से बचने के लिए बैल (नंदी) का रूप धारण कर हिमालय में चले गए। पांडवों ने उनका पीछा किया और अंततः केदारनाथ में उन्हें पहचान लिया। इसी समय शिवजी भूमिगत होने लगे, लेकिन पांडवों ने उनके शरीर के अंगों को पकड़ लिया। माना जाता है कि उनकी पीठ का हिस्सा केदारनाथ में प्रकट हुआ और वहीं पर मंदिर की स्थापना हुई।

इसी कारण यह स्थान पंचकेदार में सबसे प्रमुख माना जाता है। अन्य हिस्से तुंगनाथ, रुद्रनाथ, मध्यमहेश्वर और कल्पेश्वर में पूजे जाते हैं। केदारनाथ की बड़ी महिमा है। उत्तराखण्ड में बद्रीनाथ और केदारनाथ-ये दो प्रधान तीर्थ हैं, दोनो के दर्शनों का बड़ा ही माहात्म्य है। केदारनाथ के संबंध में लिखा है कि जो व्यक्ति केदारनाथ के दर्शन किये बिना बद्रीनाथ की यात्रा करता है, उसकी यात्रा निष्फल जाती है और केदारनाथ सहित नर-नारायण-मूर्ति के दर्शन का फल समस्त पापों के नाश पूर्वक जीवन मुक्ति की प्राप्ति बतलाया गया है।

केदारनाथ मंदिर की भव्यता

केदारनाथ मंदिर का निर्माण प्राचीनकाल में हुआ था और माना जाता है कि इसका पुनर्निर्माण आदि शंकराचार्य 8वीं शताब्दी ने करवाया। मंदिर विशाल पत्थरों से बना है और इसकी दीवारें इतनी मजबूत हैं कि सदियों से प्राकृतिक आपदाओं का सामना करती आई हैं। 2013 की भीषण बाढ़ में जब पूरा क्षेत्र तबाह हो गया, तब भी यह मंदिर मजबूती से खड़ा रहा। यह घटना मंदिर की दिव्यता और शक्ति का प्रमाण मानी जाती है।

केदारनाथ मंदिर का निर्माण पत्थरों के बड़े-बड़े शिलाखंडों से किया गया है। यह 6 फीट मोटी दीवारों वाला मजबूत मंदिर किसी भी आधुनिक तकनीक के बिना बनाया गया है। मंदिर के चारों ओर ऊँचे-ऊँचे बर्फीले पर्वत इसे दिव्य आभा प्रदान करते हैं।

मंदिर में मुख्य रूप से भगवान शिव की पिंड रूपी पूजा होती है। मंदिर के चारों ओर बर्फ से ढकी चोटियाँ जैसे नीलकंठ, केदार शिखर और खंडगिरी इसकी शोभा को और भी अद्भुत बनाते हैं।

प्राकृतिक सौंदर्य और महत्व

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केदारनाथ केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि प्राकृतिक दृष्टि से भी बेहद खास है। यहाँ मंदाकिनी नदी बहती है जो गंगा की सहायक नदी है। मंदिर के चारों ओर बर्फ से ढकी चोटियाँ और हरियाली श्रद्धालुओं के मन को मोह लेती है। 2013 में आई भयंकर आपदा में जब पूरा क्षेत्र बर्बाद हो गया, तब भी मंदिर सुरक्षित रहा। यह घटना भगवान शिव की महिमा और मंदिर की अद्भुत शक्ति को दर्शाती है।

केदारनाथ की यात्रा और पहुँच

केदारनाथ तक पहुँचने के लिए भक्तों को कई किलोमीटर की कठिन पैदल यात्रा करनी पड़ती है। गौरीकुंड से लगभग 16 किलोमीटर लंबा ट्रैक है, जो पहाड़ों, झरनों और प्राकृतिक सुंदरता से भरा हुआ है। आधुनिक समय में हेलीकॉप्टर सेवा भी उपलब्ध है, जिससे वृद्ध और असमर्थ लोग भी आसानी से दर्शन कर सकते हैं।

यह यात्रा केवल शारीरिक चुनौती नहीं बल्कि आस्था और विश्वास की परीक्षा भी मानी जाती है। भक्त जब कठिनाइयों को पार करके मंदिर पहुँचते हैं तो उन्हें आत्मिक शांति और अनोखी ऊर्जा का अनुभव होता है।

* सड़क मार्ग से –

  • ऋषिकेश, हरिद्वार, देहरादून और उत्तराखंड के अन्य शहरों से नियमित बस सेवाएँ उपलब्ध।
  • अंतिम सड़क बिंदु: गौरीकुंड

* ट्रेकिंग मार्ग से –

  • गौरीकुंड से 16 किमी की चढ़ाई
  • विकल्प: घोड़ा, खच्चर, पालकी और हेलीकॉप्टर सेवा

* हवाई मार्ग से –

  • नज़दीकी हवाई अड्डा: जॉलीग्रांट एयरपोर्ट, देहरादून (250 किमी दूर)
  • एयरपोर्ट से टैक्सी/बस द्वारा ऋषिकेश → गौरीकुंड → केदारनाथ

* रेल मार्ग से –

  • नज़दीकी रेलवे स्टेशन: ऋषिकेश (243 किमी), हरिद्वार (250 किमी)
  • यहाँ से बस या टैक्सी द्वारा सोनप्रयाग/गौरीकुंड तक

* हेलीकॉप्टर सेवा-

  • हेलिपैड: फाटा, गु्प्तकाशी, सिरसी
  • कुछ ही मिनटों में मंदिर तक पहुँचने का आसान विकल्प
  • ऑनलाइन और ऑफलाइन टिकट बुकिंग की सुविधा उपलब्ध

केदारनाथ में दर्शन का समय

  • केदारनाथ जी का मन्दिर आम दर्शनार्थियों के लिए प्रात: 6:00 बजे खुलता है।
  • दोपहर तीन से पाँच बजे तक विशेष पूजा होती है और उसके बाद विश्राम के लिए मन्दिर बन्द कर दिया जाता है।
  • पुन: शाम 5 बजे जनता के दर्शन हेतु मन्दिर खोला जाता है।
  • पाँच मुख वाली भगवान शिव जी की प्रतिमा का विधिवत श्रृंगार करके 7:30 बजे से 8:30 बजे तक नियमित आरती होती है।
  • रात्रि 8:30 बजे केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग का मन्दिर बन्द कर दिया जाता है।

केदारनाथ यात्रा का समय(Best time to visit kedarnath)

  • यह मंदिर साल में केवल छह महीने (अप्रैल से नवंबर) तक खुला रहता है।
  • जब सर्दियों में केदारनाथ मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं, तब भगवान शिव की उज्ज्वल मूर्ति (Utsav Murti) को रुद्रप्रयाग जिले के ऊखीमठ ले जाया जाता है। वहाँ पूरे शीतकाल में पूजा-अर्चना की जाती है।इसी प्रतिमा की पूजा यहाँ भी रावल जी करते हैं।
  • शीतकाल में केदारघाटी बर्फ़ से ढँक जाती है। यद्यपि केदारनाथ-मन्दिर के खोलने और बन्द करने का मुहूर्त निकाला जाता है, किन्तु यह सामान्यत: नवम्बर माह की 15 तारीख से पूर्व (वृश्चिक संक्रान्ति से दो दिन पूर्व) बन्द हो जाता है और छ: माह बाद अर्थात वैशाखी (13-14 अप्रैल) के बाद कपाट खुलता है।
  • केदारनाथ में जनता शुल्क जमा कराकर रसीद प्राप्त करती है और उसके अनुसार ही वह मन्दिर की पूजा-आरती कराती है अथवा भोग-प्रसाद ग्रहण करती है।
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Frequently Ask Questions-

Q. केदारनाथ यात्रा का सबसे अच्छा समय कौन सा है?

Ans. सबसे अच्छा समय अप्रैल से जून और सितंबर से अक्टूबर माना जाता है। मानसून (जुलाई-अगस्त) में भारी बारिश और भूस्खलन की वजह से यात्रा कठिन हो जाती है !

Q. केदारनाथ धाम की खासियत क्या है?

Ans. यह पंच केदार तीर्थस्थलों में प्रथम स्थल है और भारत के छोटे चार धामों में प्रमुख स्थलों में से एक है। यह बारह ज्योतिर्लिंगों में सर्वोच्च ज्योतिर्लिंगों में से एक है।

Q. केदारनाथ में पैदल कितने घंटे चलना पड़ता है?

Ans. केदारनाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए, गौरीकुंड से लगभग 16 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। आमतौर पर 6-8 घंटे लगते हैं.

Q. क्या केदारनाथ मंदिर पूरे साल खुला रहता है?

Ans.यह मंदिर केवल 6 महीने खुला रहता है। शीतकाल (नवंबर से अप्रैल) में भगवान की पूजा ऊखीमठ में की जाती है।

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