
भूटान, एशिया के दक्षिणी छोर पर स्थित एक छोटा लेकिन बेहद खास देश है जो भारत और चीन के बीच हिमालय की गोद में बसा हुआ है। भूटान अपनी शांति, प्राकृतिक सुंदरता, बौद्ध संस्कृति और “ग्रॉस नेशनल हैप्पीनेस” (Gross National Happiness) की नीति के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। यहाँ की सरकार आर्थिक प्रगति से ज़्यादा लोगों की खुशी और मानसिक शांति को प्राथमिकता देती है।
भूटान (Bhutan), जिसे “थंडर ड्रैगन की भूमि” (Land of the Thunder Dragon) कहा जाता हैl प्राकृतिक सुंदरता, आध्यात्मिकता और शांति से भरपूर यह देश पर्यटन प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं। भूटान की संस्कृति, पारंपरिक वास्तुकला, बौद्ध मठ, पर्वत और हरियाली इसकी सबसे बड़ी खासियत हैं। भूटान एक ऐसा देश है जो आधुनिकता से अधिक अपनी संस्कृति, शांति और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है।
यहां की वादियाँ, पहाड़, मठ, परंपराएं और लोग मिलकर इसे एक दिव्य अनुभव बना देते हैं। अगर आप अपने जीवन में कुछ सुकून भरे पल बिताना चाहते हैं, तो भूटान की यात्रा जरूर करें यह देश आपको अंदर से जोड़ देगा।अगर आप भी भूटान की यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो यहां हम आपको भूटान के प्रमुख पर्यटन स्थलों की विस्तृत जानकारी दे रहे हैं।
भूटान में हम सरल मार्ग से कैसे पहुंचे?
★ हवाई मार्ग:– भारत के कोलकाता, दिल्ली, गुवाहाटी से पारो एयरपोर्ट के लिए उड़ानें।
★ सड़क मार्ग:– पश्चिम बंगाल के जयगाँव से भूटान के फुएंत्शोलिंग तक।
भूटान ट्रिप की सबसे शांत और खूबसूरत जगहें
1. थिम्फू (Thimphu)
थिम्फू भूटान की राजधानी और सबसे बड़ा शहर है। यह एक ऐसी राजधानी है जो अपने पारंपरिक भूटानी जीवनशैली और प्राकृतिक सुंदरता को आज भी सहेजे हुए है। थिम्फू हिमालय की वादियों में बसा हुआ है और इसकी ऊँचाई समुद्र तल से लगभग 2,334 मीटर (7,657 फीट) है।
यह दुनिया की एकमात्र राजधानी है जहाँ कोई ट्रैफिक लाइट नहीं है, फिर भी शहर का ट्रैफिक पूरी तरह अनुशासित है। थिम्फू प्रशासनिक, धार्मिक, सांस्कृतिक और वाणिज्यिक दृष्टिकोण से भूटान का प्रमुख केंद्र है।
मुख्य आकर्षण:
टशिचो डज़ोंग – एक भव्य किला और प्रशासनिक भवन।
बुद्धा डोर्डेनमा – एक विशाल बुद्ध प्रतिमा जो पूरे शहर को निहारती है।
नेशनल मेमोरियल चोर्टेन – श्रद्धालुओं और पर्यटकों का प्रमुख स्थल।
लोकल मार्केट और क्राफ्ट बाज़ार – भूटानी हस्तशिल्प और स्मृति चिह्नों की खरीदारी के लिए।
थिम्फू जाने का मार्ग:
हवाई मार्ग: सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा पारो (Paro) है, जो थिम्फू से लगभग 50 किमी दूर है।
सड़क मार्ग: जयगांव (भारत) से फुएंटशोलिंग होते हुए थिम्फू सड़क द्वारा पहुँचा जा सकता है।
2. पारो (Paro

पारो (Paro) भूटान का एक प्रमुख और सुंदर शहर है, जो पश्चिमी भूटान में स्थित है। यह शहर पारो घाटी में बसा हुआ है और प्राकृतिक सौंदर्य, ऐतिहासिक धरोहरों और धार्मिक महत्व के कारण पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है। पारो न केवल भूटान का एक ऐतिहासिक स्थल है, बल्कि यह भूटान का एकमात्र अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा होने के कारण भी महत्वपूर्ण है।
पारो चारों ओर से हरे-भरे पहाड़ों, गहरी घाटियों और शांत वातावरण से घिरा हुआ है। पारो चू (नदी) इस शहर को और भी आकर्षक बनाती है। यह स्थान उन लोगों के लिए आदर्श है जो प्रकृति की गोद में समय बिताना चाहते हैं। पारो घाटी भूटान के सबसे खूबसूरत स्थलों में से एक है। यहां आपको ऐतिहासिक मठ, मंदिर, और हरे-भरे खेत मिलेंगे।
मुख्य आकर्षण:
टाइगर नेस्ट मठ – एक पहाड़ी पर बना यह मठ भूटान का सबसे प्रसिद्ध स्थल है।
पारो डज़ोंग – पारंपरिक स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण।
राष्ट्रीय संग्रहालय (National Museum of Bhutan) – पारो टा डज़ोंग में स्थित।
चु झम ब्रिज – एक सुंदर लकड़ी का पुल जो पारंपरिक शैली में बना है।
पारो कैसे पहुंचे?
👉 पारो इंटरनेशनल एयरपोर्ट (Paro International Airport) भूटान का एकमात्र अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है।
👉 यह भारत के कोलकाता, दिल्ली, गुवाहाटी और बागडोगरा से सीधे जुड़ा है।
👉 भारत से भूटान सड़क के माध्यम से भी आसानी से जाया जा सकता है।
👉 पश्चिम बंगाल के जयगांव (Jaigaon) से भूटान का फुंटशोलिंग (Phuentsholing) सीमा पर स्थित शहर जुड़ा हुआ है।
👉 पारो में कोई रेलवे स्टेशन नहीं है।
3. पुन्छोलिंग (Phuentsholing)
फुंटशोलिंग भूटान के दक्षिणी भाग में स्थित एक प्रमुख शहर है, जो भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के जयगांव (Jaigaon) से जुड़ा हुआ है। यह शहर भूटान के व्यापार, संस्कृति और पर्यटन के लिहाज़ से बेहद अहम है।पश्चिम बंगाल की सीमा से सटा हुआ यह शहर भूटान का प्रमुख व्यापारिक केंद्र है। अधिकतर पर्यटक यहीं से भूटान में प्रवेश करते हैं।
फुंटशोलिंग भूटान और भारत की सीमा पर स्थित है। यह शहर समुद्र तल से लगभग 300 मीटर की ऊँचाई पर है,इसलिए यहाँ मौसम आमतौर पर गर्म और आर्द्र रहता है। भारत का जयगांव शहर इससे बिल्कुल सटा हुआ है। दोनों शहरों के बीच एक गेट (Bhutan Gate) है, जिसे पार करके आप भूटान में प्रवेश करते हैं।
यहां की मुख्य आकर्षण:
करमांडु चोर्टेन
गेटवे ऑफ भूटान
खूबसूरत प्राकृतिक नज़ारे और शांत वातावरण
फुंटशोलिंग कैसे पहुँचे?
रेल मार्ग:– निकटतम रेलवे स्टेशन है Hasimara (17 किमी) यहां से टैक्सी या ऑटो लेकर आप जयगांव पहुँच सकते हैं।
सड़क मार्ग:पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी, जलपाईगुड़ी और बागडोगरा से बस, टैक्सी या निजी वाहन से जयगांव पहुँच सकते हैं।
हवाई मार्ग:निकटतम हवाई अड्डा है बागडोगरा एयरपोर्ट (170 किमी), जहां से सड़क मार्ग से 4-5 घंटे में फुंटशोलिंग पहुँचा जा सकता है।
4. पुनाखा (Punakha)
पुनाखा (Punakha) भूटान का एक ऐतिहासिक और बेहद खूबसूरत शहर है, जो पश्चिमी भूटान में स्थित है। यह शहर समुद्र तल से लगभग 1,200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और अपनी सुरम्य घाटियों, दो नदियों के संगम, भव्य मठों और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए जाना जाता है। पुनाखा, भूटान की पुरानी राजधानी रह चुकी है और आज भी इसका ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व बरकरार है।
पुनाखा का मौसम भूटान के अन्य ऊँचे क्षेत्रों की तुलना में कुछ गर्म होता है, जिससे यहाँ धान और फलों की खेती होती है। वसंत ऋतु में यहाँ के खेत बकाइन और जैकरांडा फूलों से सज जाते हैं, जो इसे और भी सुंदर बनाते हैं। सर्दियों में भी पुनाखा अपेक्षाकृत गर्म रहता है, इसलिए यह पर्यटकों के लिए साल भर आदर्श गंतव्य बना रहता है।
पुनाखा का मुख्य आकर्षण:
पुनाखा डज़ोंग – भूटान का सबसे सुंदर डज़ोंग, दो नदियों के संगम पर स्थित।
सस्पेंशन ब्रिज – भूटान का सबसे लंबा झूलता हुआ पुल।
चिमी लाखांग मंदिर – प्रजनन से जुड़े आशीर्वाद के लिए प्रसिद्ध।
पुनाखा पहुंचने का आसान मार्ग ?
सड़क मार्ग से:–
★ भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के जयगांव (Jaigaon) से भूटान का फुंटशोलिंग (Phuentsholing) सीमा शहर जुड़ा हुआ है।
★ जयगांव तक ट्रेन (Hasimara रेलवे स्टेशन) या बस/टैक्सी से पहुँचा जा सकता है।
★ फुंटशोलिंग में प्रवेश करने के बाद, आपको भूटान के अंदर यात्रा करने के लिए परमिट (Permit) लेना होगा।
हवाई मार्ग से:–
★ भारत के दिल्ली, कोलकाता, गुवाहाटी से भूटान के पारो हवाई अड्डे के लिए फ्लाइट्स उपलब्ध हैं (Druk Air या Bhutan Airlines)।
★ पारो एयरपोर्ट से थिम्फू और फिर पुनाखा पहुँचा जा सकता है।
5. बुमथांग (Bumthang)

बुमथांग भूटान का एक सुंदर और आध्यात्मिक जिला है, जिसे “भूटान की आध्यात्मिक आत्मा” (Spiritual Heartland of Bhutan) कहा जाता है। यह क्षेत्र भूटान के मध्य भाग में स्थित है और चार घाटियों – चोकोर, चुमे, तांग और उर – kiको मिलाकर बना है। बुमथांग का अर्थ है “सुंदर मैदान” और यह नाम यहाँ की हरी-भरी घाटियों और शांत वातावरण को दर्शाता है।
यह स्थान भूटान के प्राचीनतम बौद्ध मंदिरों, मठों और धार्मिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। ऐसा माना जाता है कि गुरु पद्मसंभव ने बुमथांग में कई चमत्कार किए थे और बौद्ध धर्म की गहराई यहाँ फैली। यहाँ स्थित जांकर मठ (Jakar Dzong), कुरजे लहाखांग, और जंबे लहाखांग जैसे धार्मिक स्थल भूटान के सबसे पवित्र स्थलों में से माने जाते हैं। बुमथांग की संस्कृति शुद्ध और पारंपरिक भूटानी मूल्यों को दर्शाती है। यहाँ की जलवायु ठंडी और सुखद होती है
बुमथांग का मुख्य आकर्षण:–
★ जंकार मठ (Jakar Dzong)
★ कुरजे लखांग
★ तमशिंग लखांगपारंपरिक भूटानी गांव और खेत
बुमथांग (Bumthang) कैसे पहुँचे?
👉 भारत से पारो (Paro) हवाई अड्डा जाएं (Delhi/Kolkata से Druk Air या Bhutan Airlines) लीजिए।
👉 पारो से बुमथांग के लिए डोमेस्टिक फ्लाइट लें (Bhutan Airlines या Druk Air की छोटी फ्लाइट)
👉 उड़ान का समय: लगभग 35-40 मिनट
👉 आप भूटान के किसी भी प्रमुख शहर से सड़क मार्ग द्वारा बुमथांग जा सकते हैं।
👉 पारो / थिम्फू से बुमथांग की दूरी: लगभग 270–290 किमी की है जिसमें आपको समय: 8–10 घंटे लगेंगे (पहाड़ी और घुमावदार रास्ता)
👉 रूट: पारो → थिम्फू → वांगडू → ट्रोंगसा → बुमथांग
👉 वाहन: प्राइवेट टैक्सी, SUV, या टूर वैन
👉 गंगटे / पुनाखा से बुमथांग की दूरी: लगभग 200–230 किमी की जहां से समय: 7–9 घंटे लगते है।
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6. गांसा घाटी (Gasa)
गांसा (Gasa) भूटान के उत्तर-पश्चिम में स्थित एक शांत, ऊँचाई वाला और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर जिला है, जिसे भूटान का “हिमालयी रत्न” भी कहा जाता है। यह क्षेत्र अपनी बर्फीली पहाड़ियों, गर्म पानी के झरनों (Hot Springs), ऊँचे पर्वतों और घने जंगलों के लिए जाना जाता है। गांसा की घाटियाँ ट्रेकिंग, मेडिटेशन, और शांतिपूर्ण समय बिताने के लिए आदर्श मानी जाती हैं।
यहाँ का सबसे प्रसिद्ध आकर्षण है गांसा त्साछू (Gasa Tshachu) – यह गर्म पानी के प्राकृतिक झरने हैं, जिन्हें औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। यहाँ नहाने से शरीर की थकान और कई बीमारियों में राहत मिलती है। साथ ही, गांसा ज़ोंग (Gasa Dzong) भी एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है, जो ऊँचे पहाड़ी क्षेत्र में स्थित होकर एक भव्य दृश्य प्रस्तुत करता है। यह ज़ोंग भूटान की सीमा की सुरक्षा के लिए ऐतिहासिक रूप से भी महत्वपूर्ण रहा है।
7. हा घाटी (Haa Valley)

हा घाटी (Haa Valley) भूटान की एक बेहद शांत, प्राकृतिक और रहस्यमयी घाटी है, जो देश के पश्चिमी भाग में स्थित है। यह घाटी पारो से लगभग 65 किलोमीटर दूर है और समुद्र तल से लगभग 2,700 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। हा घाटी को भूटान की सबसे कम देखी जाने वाली घाटियों में से एक माना जाता है, जिससे इसका प्राकृतिक सौंदर्य आज भी पूरी तरह से अनछुआ और स्वच्छ है।
चारों ओर फैले बर्फीले पहाड़, हरे-भरे देवदार और चीड़ के जंगल, पारंपरिक घर और शांत वातावरण इस जगह को बेहद खास बनाते हैं। यहाँ की संस्कृति ल्होकू (Lhopa) समुदाय से जुड़ी हुई है जो आज भी अपनी पारंपरिक भूटानी जीवनशैली का पालन करते हैं। घाटी में स्थित Lhakhang Karpo (सफेद मंदिर) और Lhakhang Nagpo (काला मंदिर) बहुत प्रसिद्ध धार्मिक स्थल हैं और इनसे जुड़ी पौराणिक कथाएँ इस जगह को रहस्यमय बनाती हैं।
हा घाटी से होकर जाने वाला Chele La Pass भूटान का सबसे ऊँचा मोटरेबल पास है, जहाँ से बर्फ से ढकी चोटियों और पारो घाटी का दृश्य बेहद मनमोहक होता है। सर्दियों में यह घाटी बर्फ से ढक जाती है, जबकि गर्मियों में यह हरियाली और फूलों से सज जाती है। जो इसे और मनमोहक बनाती हैं।
Haa valley का मुख्य आकर्षण:
★ चिलेला पास (Chelela Pass) – भूटान का सबसे ऊँचा मोटरेबल पास।
★ लोवार गाँव
★ विरासत के घर और खेत
भूटान घूमने जाने से पहले जानने की बातें।
वीज़ा और परमिट: भारतीय नागरिकों को भूटान यात्रा के लिए पासपोर्ट या वोटर ID और एंट्री परमिट की आवश्यकता होती है।
मुद्रा: भूटान की मुद्रा ‘नगुलत्रुम’ है, लेकिन भारतीय रुपये (INR) को भी स्वीकार किया जाता है।
भाषा: यहां की मुख्य भाषा ज़ोंगखा है, लेकिन अंग्रेज़ी और हिंदी भी खूब बोली और समझी जाती है।
मौसम: मार्च से मई और सितंबर से नवंबर के बीच यात्रा करना सबसे उपयुक्त रहता है।
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