राजगीर में घूमने लायक 10 सबसे खूबसूरत जगह।Best visiting plance in Rajgir

राजगीर में घूमने के लिए प्रसिद्ध स्थल – rajgir me ghumne ki jagah

राजगीर बिहार राज्य के नालंदा जिले में स्थित एक ऐतिहासिक, धार्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर नगर है। यह प्राचीन काल में मगध साम्राज्य की राजधानी था और बौद्ध, जैन, तथा हिन्दू धर्म के अनुयायियों के लिए विशेष महत्व रखता है। राजगीर का नाम “राजगृह” (राजाओं का घर) से पड़ा है। यहां अनेक पर्वत, गुफाएँ, तपोस्थल, मंदिर और झरने स्थित हैं, जो इसे एक प्रमुख पर्यटन स्थल बनाते हैं।

राजगीर में घूमने के लिए सबसे सुंदर और प्रमुख स्थल हैं:-

विश्व शांति स्तूप (Vishwa Shanti Stupa) बिहार के राजगीर शहर की रत्नागिरी पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। यह स्तूप न केवल भारत का, बल्कि पूरे एशिया का एक महत्वपूर्ण बौद्ध धार्मिक स्थल है। यह स्थान भगवान बुद्ध की शिक्षाओं, ध्यान, और विश्व शांति के संदेश को समर्पित है।

निर्माण का उद्देश्य और इतिहास:–

  • यह स्तूप निप्पोंज़ान म्योहो जी बौद्ध संप्रदाय के जापानी बौद्ध भिक्षुओं द्वारा बनवाया गया था।
  • इसका निर्माण 1969 में प्रारंभ हुआ और 1978 में पूर्ण हुआ।
  • यह स्तूप बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान गौतम बुद्ध की
  • शिक्षाओं और अहिंसा के सिद्धांत को फैलाने के लिए बनाया गया था।
  • फुजी गुरुजी ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जापान में परमाणु बमबारी की त्रासदी को देखते हुए दुनिया भर में शांति स्तूप बनाने की योजना बनाई थी

स्थान और पहुँच (Location & Access):-

यह स्तूप रत्नागिरी पर्वत की चोटी पर स्थित है, जो राजगीर शहर के बीचोंबीच है। स्तूप तक पहुँचने के लिए दो विकल्प हैं:-

1. रोपवे (Cable Car):- यह बिहार का पहला रोपवे था, जो आज भी पर्यटकों में बहुत लोकप्रिय है। यह रोपवे पर्यटकों को पहाड़ी के ऊपर सीधे स्तूप तक पहुँचाता है।

2. पैदल चढ़ाई:- आप 400 से ज्यादा सीढ़ियाँ चढ़कर भी स्तूप तक पहुँच सकते हैं, रास्ते में प्राकृतिक दृश्य और हरियाली मन मोह लेते हैं।

स्तूप की विशेषताएँ (Features of the Stupa):-

  • ऊँचाई:- लगभग 120 फीट।
  • व्यास:- लगभग 103 फीट।
  • रंग:- सफेद रंग का यह स्तूप शांति और पवित्रता का प्रतीक है।
  • स्तूप के चारों ओर भगवान बुद्ध की चार सुंदर मूर्तियाँ स्थित हैं, जो उनके जीवन के विभिन्न चरणों को दर्शाती हैं:
  • यहाँ से राजगीर का विहंगम दृश्य देखा जा सकता है।
  • जन्म
  • ज्ञान प्राप्ति (बोधि)
  • उपदेश (धर्म चक्र प्रवर्तन)
  • महापरिनिर्वाण (मृत्यु)

आसपास के और सुंदर घूमने का स्थल:–

👉 रत्नागिरी पहाड़ी से नीचे की ओर “वेणुवन” बांसों का बगीचा है, जहाँ भगवान बुद्ध ध्यान लगाते थे।

👉 पास में ही ग्रृद्धकूट पर्वत है, जहाँ बुद्ध ने अपने कई प्रमुख उपदेश दिए थे।

👉 रोपवे से उतरते समय नीचे दिखने वाला पूरा राजगीर शहर पहाड़ियाँ और जंगल एक अद्भुत दृश्य प्रदान करते हैं।

पर्यटकों के लिए सुझाव:-

★ रोपवे का अनुभव लेना न भूलें, यह एक साहसिक और सुंदर यात्रा होती है।

★ सुबह या शाम के समय यहाँ का वातावरण अधिक शांत और सुंदर होता है।

★ स्तूप के आसपास स्वच्छता बनाए रखें और धार्मिक भावना का सम्मान करें।

★ फोटोग्राफी के लिए यह स्थल अत्यंत सुंदर है।

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वेणुवन का अर्थ है – “बांसों का वन”। यह स्थान भगवान बुद्ध से जुड़ा हुआ एक पवित्र और शांत स्थल है, जो बिहार के राजगीर नगर में स्थित है। यह वही ऐतिहासिक स्थल है जहाँ मगध के राजा बिंबिसार ने भगवान बुद्ध को बांसों का एक वन दान में दिया था ताकि वे वहाँ ध्यान और विश्राम कर सकें।

वेणुवन का ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:-

♦️जब भगवान बुद्ध ज्ञान प्राप्त करने के बाद राजगीर आए, तो राजा बिंबिसार ने उनके उपदेशों से प्रभावित होकर यह वन उन्हें भिक्षु संघ के लिए दान कर दिया।

♦️यह इतिहास का पहला ऐसा स्थान माना जाता है जहाँ बुद्ध और उनके अनुयायियों ने वर्षावास (Rain Retreat) किया।

♦️यह स्थल बौद्ध धर्म के प्रथम विहार (Vihar) के रूप में जाना जाता है।

वेणुवन जाने का स्थान और पहुँच:-

👉 वेणुवन राजगीर शहर के मुख्य भाग में स्थित है और इसे सड़क मार्ग से आसानी से पहुँचा जा सकता है।

👉 यह बुद्ध स्मृति पार्क और गर्म जल कुंड के पास स्थित है।

वेणुवन की विशेषताएँ (Features of Venuvan):-

  • यह स्थान बांसों, वृक्षों और फूलों से घिरा हुआ है।
  • वातावरण अत्यंत शांत और ध्यान के लिए उपयुक्त है।
  • यहाँ एक सुंदर तालाब है जिसमें कई प्रकार के कछुए और मछलियाँ पाई जाती हैं।
  • पर्यटक बच्चों के साथ कछुए देखने और उन्हें आहार देने का आनंद लेते हैं।
  • तालाब के बीचोंबीच भगवान बुद्ध की ध्यानमग्न मूर्ति स्थापित है, जो सुंदरता और आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक है।इस प्रतिमा को देखने से मन को शांति और एकाग्रता का अनुभव होता है।
  • पूरे वेणुवन में पथ बनाए गए हैं जहाँ लोग ध्यान, टहलने और मौन साधना करते हैं।
  • यहाँ आने वाला हर व्यक्ति कुछ देर रुककर शांति का अनुभव करना चाहता है।

वेणुवन की आध्यात्मिक महत्व:-

★ यह स्थान बुद्ध अनुयायियों के लिए उतना ही पवित्र है जितना बोधगया या सारनाथ।

★ भगवान बुद्ध ने यहाँ अपने कई उपदेश दिए और भिक्षु संघ की नींव भी यहीं रखी गई थी।

★ बौद्ध भिक्षु आज भी इस स्थल पर ध्यान साधना करने आते हैं।

प्रवेश समय:

सुबह6:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक (मौसम और सीजन के अनुसार समय बदल सकता है)
प्रवेश शुल्कसामान्यतः निःशुल्क या नाममात्र।

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।गर्म जल कुंड (Hot Water Springs) राजगीर के प्रमुख दर्शनीय और पवित्र स्थलों में से एक हैं। ये प्राकृतिक गर्म पानी के स्रोत हैं जो राजगीर की पर्वत श्रृंखलाओं से निकलते हैं और धार्मिक, औषधीय, और पर्यटक महत्व रखते हैं। यह स्थल हिंदू और बौद्ध दोनों धर्मों के श्रद्धालुओं के लिए पवित्र है। गर्म जल कुंडराजगीर का एक ऐसा स्थान है जहाँ प्राकृतिक चमत्कार धार्मिक विश्वास और स्वास्थ्य लाभ एक साथ मिलते हैं। यह स्थल न केवल तीर्थयात्रियों के लिए, बल्कि हर प्रकृति प्रेमी और स्वास्थ्य जागरूक व्यक्ति के लिए एक महत्वपूर्ण अनुभव है। यह कुंड गरम जल के लिए जाना जाता है, जिसका तापमान 45°C से अधिक रहता है।

गर्म जल कुंड का धार्मिक पृष्ठभूमि:-

★ ऐसा माना जाता है कि इन गर्म जल कुंडों का संबंध भगवान ब्रह्मा, विष्णु और शिव से है।

★ यहाँ पर स्थित ब्रह्म कुंड को सबसे पवित्र माना जाता है, जहाँ स्नान करने से पापों से मुक्ति और शारीरिक रोगों से छुटकारा मिलता है।

★ बौद्ध धर्म में भी यह स्थान महत्व रखता है क्योंकि बुद्ध और उनके अनुयायियों ने यहाँ स्नान किया था।

गर्म जल कुंड स्थान और पहुँच:-

👉 गर्म जल कुंड राजगीर रेलवे स्टेशन से लगभग 3 किमी दूर स्थित हैं।

👉 यह स्थल वैभवगिरि पर्वत की तलहटी में स्थित है।* आप यहाँ पैदल, रिक्शा, ऑटो या टैक्सी से आसानी से पहुँच सकते हैं।

यहां का प्रमुख कुंडों के नाम और विवरण:–

1. ब्रह्म कुंड (Brahma Kund):- यह सबसे पवित्र और मुख्य गर्म जल कुंड है। यहां के जल का तापमान लगभग 45°C से अधिक होता है। यह कुंड भगवान ब्रह्मा को समर्पित माना जाता है। यहाँ प्रतिवर्ष मकर संक्रांति और कार्तिक पूर्णिमा जैसे अवसरों पर हजारों श्रद्धालु स्नान करने आते हैं।

2. गौतम कुंड:- गौतम कुंड राजगीर के प्रसिद्ध गर्म जल कुंडों में से एक है, जिसका नाम महर्षि गौतम के नाम पर रखा गया है। यह कुंड राजगीर की वैभवगिरि पर्वत की तलहटी में स्थित है और प्राकृतिक रूप से गर्म जल से भरपूर है। यह ऋषि गौतम से जुड़ा हुआ स्थान है। ऐसा माना जाता है कि उन्होंने यहीं पर तपस्या की थी और इस कुंड में स्नान किया था। यहाँ का पानी भी गर्म होता है और इसमें औषधीय गुण माने जाते हैं। यहां पे आने वाले श्रद्धालु यह विश्वास रखते हैं कि इस कुंड में स्नान करने से शारीरिक और मानसिक शुद्धि होती है।

3. सरस्वती कुंड और विष्णु कुंड:– ये अन्य छोटे कुंड हैं जो विभिन्न देवी-देवताओं को समर्पित हैं। हर कुंड में स्नान का अलग धार्मिक महत्व होता है।

प्राकृतिक और औषधीय गुण:-

♦️ इन कुंडों के पानी में सल्फर (sulfur)की मात्रा पाई जाती है।

♦️यह पानी त्वचा रोग जोड़ों के दर्द, और दमा जैसे रोगों में लाभकारी माना जाता है।

♦️गर्म जल में स्नान से शरीर को आराम और मन को शांति मिलती है।

खुलने का समय और प्रवेश:-

प्रवेश समय:-सुबह 5:00 बजे से शाम 7:00 बजे तक
प्रवेश शुल्क:–निःशुल्क (कुछ जगहों पर नाममात्र शुल्क हो सकता है)

जरासंध का अखाड़ा, बिहार के राजगीर में स्थित एक ऐतिहासिक और पौराणिक स्थल है, जो महाभारत के प्रसंगों से जुड़ा हुआ है। यह वह स्थान माना जाता है जहाँ भीम और जरासंध के बीच भीषण मल्लयुद्ध (wrestling fight) हुआ था। यह अखाड़ा आज भी पर्यटकों और पौराणिक इतिहास में रुचि रखने वालों के लिए एक आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यहाँ एक प्राचीन अखाड़ा है और पास में जरासंध का मजार भी स्थित है

स्थान और पहुंचने का मार्ग—

★ यह अखाड़ा राजगीर शहर में मुख्य बाजार से थोड़ी दूरी पर स्थित है।

★ पास में ही अन्य दर्शनीय स्थल जैसे ब्रह्म कुंड, शांति स्तूप, गुफाएँ, और गर्म जल कुंड भी हैं।

★ सड़क मार्ग से यहाँ पहुँचना बहुत आसान है – ऑटो, रिक्शा या पैदल पहुँच सकते हैं।

खुलने का समय और प्रवेश:-

प्रवेश समय:सुबह 6:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक
प्रवेश शुल्क:निःशुल्क
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सोन भंडार गुफाएँ बिहार के राजगीर में स्थित प्राचीन चट्टानों को काटकर बनाई गई गुफाएँ हैं। इन गुफाओं को लेकर एक पुरातात्विक महत्व तो है ही, साथ ही इनके साथ जुड़ी खजाने की रहस्यमयी कहानियाँ भी इन्हें और रोमांचक बनाती हैं। ऐसा माना जाता है कि इन गुफाओं में मगध के सम्राट बिंबिसार का खजाना छिपा हुआ है।

★ ये गुफाएँ राजगीर के पहाड़ों में स्थित हैं और एक चट्टान को काटकर बनाई गई हैं।

★ यह गुफाएँ जैन धर्म से भी जुड़ी हुई हैं।

★ गुफाओं में ब्राह्मी लिपि में कुछ लेख भी मिलते हैं।

यहां जाने का मार्ग और स्थान :-

👉 यह गुफाएँ राजगीर रेलवे स्टेशन से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर हैं।

👉 पास ही जरासंध का अखाड़ा, ब्रह्म कुंड, गौतम कुंड आदि भी हैं।

👉 यहाँ तक पहुँचने के लिए सड़क मार्ग से ऑटो, रिक्शा या पैदल आसानी से पहुँचा जा सकता है।

खुलने का समय और शुल्क:–

प्रवेश समय:सुबह 9:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक
प्रवेश शुल्क:सामान्यतः निःशुल्क या बहुत नाममात्र शुल्क

राजगीर, प्राचीन समय में “राजगृह” के नाम से जाना जाता था और यह जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी से गहराई से जुड़ा हुआ है। यहां स्थित जैन मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह ध्यान, तपस्या और मोक्ष मार्ग का प्रतीक भी है।राजगीर जैन धर्म के 20 से अधिक तीर्थ स्थलों का केंद्र है। यहाँ की प्रमुख पहाड़ियाँ जैसे कि Vipulachal, Ratnagiri, Udayagiri, Songiriआदि पर जैन मंदिर स्थित हैं।

जैन मंदिर जाने का स्थान और पहुँच:–

★ जैन मंदिर वैभवगिरि पर्वत और उदयगिरि पर्वत की श्रृंखलाओं में स्थित है।

★ मुख्य मंदिर पर्वत की चोटी पर स्थित है जहाँ तक पहुँचने के लिए आपको 400 से अधिक सीढ़ियाँ चढ़नी होती हैं।

★ राजगीर रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी लगभग 3-4 किलोमीटर है।

प्रवेश समय और अन्य जानकारी:–

प्रवेश समय:सुबह 6:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक
प्रवेश शुल्क:निःशुल्क (दानस्वरूप सहयोग किया जा सकता है)
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गृद्धकूट पर्वत बिहार के राजगीर नगर में स्थित एक प्रसिद्ध धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल है। यह पर्वत बौद्ध धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है, क्योंकि यहीं भगवान बुद्ध ने अपने जीवनकाल में कई महत्वपूर्ण उपदेश और धर्मचक्र प्रवर्तन किया था।

यह पर्वत बौद्ध धर्म के लिए विशेष रूप से पूजनीय इस लिए है।:-

  • भगवान बुद्ध ने यहीं पर अपने कई उपदेश दिए थे।
  • यह स्थान बुद्ध की “सारिपुत्र और मौद्गल्यायन” जैसे शिष्यों से जुड़ा हुआ है।
  • यह पर्वत शांति और ध्यान का प्रतीक है।
  • भगवान बुद्ध ने अपने 42 वर्ष के प्रवचन काल में से कई बार इस पर्वत पर प्रवचन दिए।
  • यहीं उन्होंने प्रसिद्ध प्रज्ञापारमिता सूत्र (Prajnaparamita Sutra), सद्दर्मपुण्डरीक सूत्र (Lotus Sutra), और महासप्त बोद्ध सूत्र जैसे कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथों की शिक्षाएं दीं।
  • यहीं से अनंत बुद्ध भिक्षुओं और अनुयायियों को धर्म का प्रचार करने का निर्देश दिया गया।

नाम का अर्थ और विशेषता:-

गृद्धकूट” का शाब्दिक अर्थ होता है – “गिद्धों की चोटी”।इस पर्वत की आकृति दूर से देखने पर गिद्ध के आकार की प्रतीत होती है, और प्राचीन काल में यहाँ बड़ी संख्या में गिद्ध पाए जाते थे – इसी कारण इसका नाम “गृद्धकूट” पड़ा।

यहां पहुंचने का स्थान और मार्ग :-

★ गृद्धकूट पर्वत राजगीर शहर के बाहरी क्षेत्र में स्थित है।

★ इसे रोपवे (Cable Car) या पैदल चढ़ाई द्वारा पहुँचा जा सकता है।

★ पास में ही प्रसिद्ध शांति स्तूप, वेणुवन, गर्म जल कुंड, और सोन भंडार गुफाएँ हैं।

★ जो लोग सीढ़ियाँ नहीं चढ़ सकते, उनके लिए केबल कार (रोपवे) की सुविधा उपलब्ध है।

★ यह राजगीर का एकमात्र रोपवे है और बहुत आकर्षक भी है – खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए।

★ टिकट बहुत ही सस्ती कीमत पर उपलब्ध होता है और यात्रा करीब 5–7 मिनट की होती है।

खुलने का समय और टिकट जानकारी:-

समय:सुबह 8:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक
रोपवे शुल्क:₹60–₹100 (दोनों ओर, उम्र और सीजन पर निर्भर)
दूरी:राजगीर शहर से 2–3 किमी

विपुलाचल पर्वत, जिसे विपुलगिरि पर्वत भी कहा जाता है, बिहार के राजगीर नगर में स्थित पाँच प्रसिद्ध पहाड़ियों में से एक है। यह पर्वत बौद्ध धर्म और जैन धर्म दोनों के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस पर्वत का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों और धार्मिक कथाओं में मिलता है, जहाँ इसे ध्यान, तपस्या और धर्मोपदेश की भूमि के रूप में दर्शाया गया है। यह राजगीर की एक और सुंदर पर्वत श्रृंखला है जहाँ से शहर का मनोरम दृश्य देखा जा सकता है। पर्वत पर चढ़ाई करते समय प्राकृतिक दृश्य बेहद आकर्षक लगते हैं।

धार्मिक महत्व (Religious Significance):-

★ विपुलाचल पर्वत वह स्थान है जहाँ भगवान बुद्ध ने कई बार निवास किया और अपने अनुयायियों को धम्म की शिक्षा दी।

★ कई बौद्ध भिक्षु यहाँ ध्यान करने और ज्ञान प्राप्ति के लिए तपस्या किया करते थे।

★ इस पर्वत पर आज भी बुद्ध की एक शांत प्रतिमा, ध्यान स्थल, और छोटे स्तूप स्थित हैं।

★ ऐसा माना जाता है कि भगवान महावीर ने भी इस पर्वत पर ध्यान और तपस्या की थी।

★ यहाँ कई जैन साधुओं और तपस्वियों ने मोक्ष प्राप्ति के लिए साधना की थी।

★ यह स्थान जैन धर्म के लिए एक प्राचीन तीर्थ स्थल के रूप में प्रतिष्ठित है।

यहां जाने का मार्ग और स्थान की जानकारी :-

👉 यह पर्वत राजगीर शहर के उत्तरी भाग में स्थित है।

👉 यहाँ तक पहुँचना थोड़ा पहाड़ी मार्ग के कारण चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन रास्ता बना हुआ है।

👉 राजगीर रेलवे स्टेशन से इसकी दूरी लगभग 3–4 किलोमीटर है।

👉 आप पैदल, ऑटो या टेम्पो से यहाँ तक पहुँच सकते हैं|पर्वत पर चढ़ने के लिए कच्चे रास्ते और सीढ़ियाँ बनी हुई हैं।

खुलने का समय और प्रवेश:-

समय:सुबह 6:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक
प्रवेश:निःशुल्क
सावधानी:ऋतु में चढ़ाई फिसलन भरी हो सकती है
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नालंदा विश्वविद्यालय भारत के बिहार राज्य में स्थित एक विश्वप्रसिद्ध प्राचीन विश्वविद्यालय था। इसे विश्व का पहला आवासीय विश्वविद्यालय (Residential University) माना जाता है जहाँ शिक्षक और विद्यार्थी साथ रहते थे। नालंदा विश्व का ऐसा अद्वितीय स्थल था, जहाँ से ज्ञान, धर्म और संस्कृति की रोशनी पूरी दुनिया में फैली।

स्थापना और इतिहास:-

★ स्थापना काल: लगभग 5वीं शताब्दी ईस्वी (गुप्तकाल) में

★ संस्थापक: कुमारगुप्त प्रथम (गुप्त वंश के सम्राट)

★ यह विश्वविद्यालय 800 वर्षों तक शिक्षा का केंद्र रहा – 5वीं से 12वीं सदी तक।

★ इसका नाम “नालंदा” संभवतः संस्कृत शब्द “ना+आलंदा” से बना है, जिसका अर्थ होता है – “अविरल ज्ञान देना”

छात्रसंख्या— लगभग 10,000 विद्यार्थी और 2,000 शिक्षक

पाठ्यक्रम— दर्शनशास्त्र, तर्कशास्त्र, चिकित्सा, व्याकरण, गणित, ज्योतिष, बौद्ध धर्म

भाषा— पालि, संस्कृत, बौद्ध संस्कृत

प्रवेश प्रणाली— अत्यंत कठिन – योग्य छात्रों को ही प्रवेश मिलता था

अंतरराष्ट्रीय प्रभाव-— चीन, जापान, कोरिया, तिब्बत, श्रीलंका आदि से छात्र आते थे

विनाश और आक्रमण:-

👉 12वीं शताब्दी में बख्तियार खिलजी नामक आक्रमणकारी ने इस विश्वविद्यालय पर हमला किया।

👉 उसने नालंदा के पुस्तकालयों को आग लगा दी, जिससे लाखों पांडुलिपियाँ और ज्ञान के स्रोत जलकर नष्ट हो गए।

👉 कहा जाता है कि पुस्तकालय तीन महीने तक जलता रहा था।

आज का नालंदा:-

🔹 नालंदा के खंडहर यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल (World Heritage Site) के रूप में घोषित हैं (2016)।

🔹 नया नालंदा विश्वविद्यालय (Nalanda University – 2010) भारत सरकार द्वारा स्थापित किया गया है, जो राजगीर में स्थित है।

🔹 यह नया विश्वविद्यालय अंतरराष्ट्रीय सहयोग से चल रहा है – जापान, चीन, थाईलैंड, सिंगापुर आदि देशों की भागीदारी है।

पर्यटकों के लिए जानकारी:-

खुलने का समय:– सुबह 9:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक

प्रवेश शुल्क:- भारतीय – ₹30, विदेशी – ₹250 (समय और नियम बदल सकते हैं)

मुख्य आकर्षण:- खंडहर, म्यूजियम, स्तूप, बुद्ध मूर्तियाँ, खुदाई स्थल

निकटतम रेलवे स्टेशन:- बख्तियारपुर जंक्शन या राजगीर

सबसे नजदीकी हवाई अड्डा:- गया अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (लगभग 90 किमी)

साइक्लोपियन वॉल बिहार के राजगीर नगर में स्थित एक प्राचीन पत्थर की दीवार है, जिसे लगभग 2500 वर्ष पूर्व बनाया गया था। यह दीवार मगध साम्राज्य की राजधानी राजगृह (वर्तमान राजगीर) को चारों ओर से सुरक्षा कवच प्रदान करती थी।यह एक 40 किमी लंबी प्राचीन पत्थरों की दीवार है जो राजगीर शहर के चारों ओर फैली हुई थी। यह दीवार मगध साम्राज्य की सुरक्षा के लिए बनाई गई थी।

यहां जाने का मार्ग और स्थान की जानकारी :-

👉 यह दीवार राजगीर शहर के चारों ओर की पहाड़ियों पर फैली हुई है।

👉 विशेषकर रत्नगिरि, विपुलाचल, गृद्धकूट, वैभारगिरि, उज्जयिनीगिरि पहाड़ियों के बीच बनी है।

👉 वर्तमान में इसके कुछ हिस्से ही शेष बचे हैं, जो पर्यटकों के लिए खुले हैं।

👉 राजगीर शहर में पहुंचने के बाद लोकल गाइड की मदद से आप साइक्लोपियन वॉल के हिस्सों तक ट्रैकिंग या पैदल पहुंच सकते हैं।

स्ट्रक्चर और स्थापत्य विशेषताएँ:-

लंबाई:- लगभग 40 किलोमीटर तक फैली हुई

चौड़ाई:- औसतन 6 फीट

ऊँचा:- लगभग 12–15 फीट, कुछ स्थानों पर अधिक

निर्माण सामग्री:- बिना गारे (mortar) के बड़े-बड़े पत्थरशैली Cyclopean Masonry – बहुत ही पुराने, असमान आकार के पत्थरों को एक-दूसरे पर जोड़कर बनाई गई

खुलने का समय और टिकट जानकारी:-

विवरणजानकारी
स्थानराजगीर, बिहार
देखने का समयसुबह 6:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक
प्रवेश शुल्ककोई शुल्क नहीं
सर्वोत्तम समयअक्टूबर से मार्च (ठंडा मौसम)
नजदीकी स्टेशनराजगीर रेलवे स्टेशननजदीकी
नजदीकी स्थलविपुलाचल, गृद्धकूट, वेणुवन, नालंदा
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राजगीर, बिहार का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है जो अपने ऐतिहासिक, धार्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। हाल के वर्षों में यहां का ग्लास ब्रिज (Glass Bridge) एक बड़ा आकर्षण बनकर उभरा है। यह ब्रिज रोमांच प्रेमियों और पर्यटकों के बीच बहुत लोकप्रिय हो रहा हैl ये राजगीर का खूबसूरत ग्लास ब्रिज है जिसका दीदार करने दूर दूर से लोग आते हैं. पहाड़ों के ऊपर बने इस ब्रिज को ‘ग्लास ब्रिज’ का नाम दिया गया है. ये पूरी तरह पारदर्शी है और इससे नीचे देखने पर ये एडवेंचर्स दिखता है. ये वाकई कमाल का ब्रिज है.

राजगीर ग्लास ब्रिज की विशेषताएं:

स्थान:- राजगीर नेचर सफारी पार्क, नालंदा जिला, बिहार

ऊंचाई:- लगभग 250 फीट (लगभग 76 मीटर)

लंबाई:- लगभग 200 फीट (लगभग 61 मीटर)

चौड़ाई:- 6 फीट

निर्माण सामग्री:- ट्रिपल-लेयर टेम्पर्ड ग्लास (हाई स्ट्रेंथ ग्लास)

प्रेरणा स्रोत:- चीन का झांगजियाजी ग्लास ब्रिज (Zhangjiajie Glass Bridge)

प्रारंभ तिथि :- नवंबर 2021 से जनता के लिए खुला

★ Glass Bridge से दिखने वाला मुख्य आकर्षण:-

1.एडवेंचर जोन:- ब्रिज के पास अन्य गतिविधियाँ भी हैं, जैसे:

  • रॉक क्लाइंबिंग
  • जिपलाइन
  • सस्पेंशन ब्रिज
  • बटरफ्लाई पार्क
  • बर्ड ज़ोन
  • बच्चों के लिए फन ज़ोन

2. नेचर सफारी:- इस क्षेत्र में जंगल सफारी भी उपलब्ध है, जिसमें खुले वाहन से पहाड़ी और वन्य जीवन का आनंद लिया जा सकता है।

3. व्यू पॉइंट्स:- ग्लास ब्रिज से चारों तरफ के पहाड़, घाटियां और हरियाली का नजारा बेहद खूबसूरत होता है।

♦️ एंट्री फीस और घूमने का सही समय:-

ग्लास ब्रिज:– ₹125 प्रति व्यक्ति

नेचर सफारी:- एंट्री ₹100-₹250 तक

जिपलाइन आदि:- ₹100 से ₹500 तक (गतिविधि पर निर्भर करता है)

Note:– अक्टूबर से मार्च तक का मौसम सबसे अच्छा होता है। गर्मियों में तेज धूप और गर्मी के कारण घूमने में दिक्कत हो सकती है।

ग्लास ब्रिज कैसे पहुँचें?

👉 रेलमार्ग: राजगीर रेलवे स्टेशन से ग्लास ब्रिज की दूरी लगभग 5-6 किमी है।

👉 सड़क मार्ग: बिहार के प्रमुख शहरों (पटना, नालंदा, गया) से राजगीर के लिए बसें और टैक्सी उपलब्ध हैं।

👉 हवाई मार्ग: निकटतम एयरपोर्ट गया (लगभग 70 किमी) और पटना एयरपोर्ट (लगभग 100 किमी) हैं।

राजगीर एक ऐसा स्थल है जहाँ धार्मिक आस्था इतिहास, प्रकृति और आध्यात्मिकता सभी एकसाथ देखने को मिलते हैं। चाहे आप बौद्ध अनुयायी हों, जैन तीर्थयात्री हों या एक सामान्य पर्यटक – राजगीर आपके लिए एक अविस्मरणीय अनुभव हो सकता है|

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Frequently Ask Questions:-

1.Q राजगीर घूमने का सही समय क्या है?

Ans. राजगीर घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच का होता है, जब मौसम सुहावना और ठंडा रहता है और तापमान 10-20 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहता है

2. Q राजगीर में क्या-क्या घूमने वाली जगह कौन है?

Ans. वह स्थान जहाँ भगवान बुद्ध ध्यान करते हैं, वेणु वन एक सुखद उद्यान है जिसमें एक तालाब और कई पेड़ हैं, साइक्लोपियन वाल, हॉट स्प्रिंग्स, घोड़ा कटोरा झील और बिम्बिसार का खजाना जैसी कुछ और रहस्मय जगहें हैं जिन्हें आप देख सकते हैं।

3.Q राजगीर की फेमस चीज़ क्या है?

Ans. राजगीर का मुख्य आकर्षण ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व हैlयह गर्म झरनों, प्राचीन खंडहरों और सुरम्य पहाड़ियों के लिए भी प्रसिद्ध है।

4.Q ग्लास ब्रिज कहा है?

Ans. यह ब्रिज राजगीर नेचर सफारी पार्क में स्थित है।

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